तेंदू पत्ता कामगारों को 25 लाख रूपए का मुआवजा दिया जाए - अ. भा. आ. वी. प. राजूरा तालुका सचिव दीपक मडावी
✳️बाघों के हमलों के चलते 10 से अधिक लोगो की जान गई।
✳️कुछ ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसे संवेदनशील क्षेत्र में तेंदूपत्ता को अनुमति कैसे दिया जा सकता है ?
राजूरा (राज्य रिपोर्टर) : वर्ष 2019/20 में राजूरा वन अभ्यारण्य में बाघों के हमलों के चलते 10 से अधिक लोगो की जान गई। कई पालतू जानवरो को भी बाघ ने हमला कर उन्हे मौत के घाट उतार दिया। बाघों के हमलों को देखते हुए वन विभाग ने आम जनता को जंगल में घूमने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
राजूरा फॉरेस्ट रिज़र्व के जोगापुर में स्थित श्री हनुमान जी का मंदिर देवस्थान है, और इस मंदिर में भक्त वर्षो से रहते है। कई वर्षो से यह परंपरा चली आ रही है की, साल में एक बार यहां बड़े पैमाने पर जत्रा आयोजित किया जाता है। इस जात्रा में दूर-दूर से अनेक श्रद्धालु हनुमान जी के दर्शन के लिए आते हैं और इसी जात्रा से कइयों को रोजगार मिलता है। परंतु आर टी -1 बाघ के दशक के नाम से वन विभाग ने इस जात्रा पर प्रतिबंध लगाई और राजूरा वन विभाग द्वारा जंगल सफारी शुरू किया तथा जंगल सफारी के माध्यम से प्रत्येक नागरिकों से 800 से 1000 रुपए टिकट वसूला गया।
राजूरा फॉरेस्ट रिजर्व में आर टी-1 बाघ के दहशत के चलते वन विभाग द्वारा जंगल में प्रवेश पर रोक लगाने के मद्देनजर तेंदूपत्ता को भी अनुमति नहीं दिया जाना चाहिए था, परंतु कुछ ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसे संवेदनशील क्षेत्र में तेंदूपत्ता को अनुमति कैसे दिया जा सकता है ? यह सवाल अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद राजूरा के तालुका सचिव तथा सामाजिक कार्यकर्ता एवं न्याय हक्क समिति के उपाध्यक्ष श्री. दीपक मडावी ने किया।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत सरकार द्वारा प्रत्येक सरकारी कामगार कर्मचारियों को अंदाज़न 50 लाख रूपए का बीमा दिया जा रहा है ऐसा कहा जाता है। दूसरी तरफ तेंदूपत्ता मजदूर अपनी जान को जोखिम में डालकर जंगल में जाता है और अचानक किसी तेंदूपत्ता मजदूर पर किसी जंगली जानवर द्वारा हमले से मजदूर की जान जाती है तो सरकार द्वारा उस मजदूर के घर वालों को 15 लाख रुपए मुआवजा दिया जाता है। राजूरा वन अभयारण्य क्षेत्रों में तेंदूपत्ता अनुबंध को रद्द किया जाए, अन्यथा भविष्य में जंगली जानवर के हमले में किसी मजदूर की जान जाती है तो ठेकेदार या वन-विभाग की ओर से मृतक व्यक्ति के परिवार को 25 लाख रुपए का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिया जाए या राजूरा वन अभयारण्य में तेंदूपत्ता अनुबंध को रद्द किया जाए। वरना भविष्य में तीव्र आंदोलन किया जाएगा और इसकी पूरी जवाबदारी वन विभाग के अधिकारी की होगी ऐसी चेतावनी अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद राजूरा के तालुका सचिव एवं सामाजिक कार्यकर्ता, न्याय हक्क समिति के उपाध्यक्ष श्री. दीपक मडावी ने वन विभाग को पत्र द्वारा व्यक्त किया।





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